सिंधु सभ्यता, जिसे हम हड़प्पा सभ्यता भी कहते हैं, प्राचीन भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे प्राचीन और विकसित नगरीय सभ्यताओं में से एक थी। यह सभ्यता लगभग 3300 ईसा पूर्व से लेकर 1300 ईसा पूर्व तक अस्तित्व में रही, और इसका चरम काल 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व के बीच माना जाता है।
📍 स्थान और विस्तार
सिंधु सभ्यता का मुख्य क्षेत्र वर्तमान पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांतों, भारत के पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में फैला हुआ था। इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 1.25 मिलियन वर्ग किलोमीटर था, जो प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया से भी बड़ा था।
🏙️ प्रमुख स्थल
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हड़प्पा (Harappa) – पंजाब प्रांत में स्थित, यह सभ्यता का एक प्रमुख स्थल था।
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मोहनजो-दड़ो (Mohenjo-daro) – सिंध प्रांत में स्थित, यह स्थल अपनी उन्नत नगरीय योजना के लिए प्रसिद्ध है।
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धोलावीरा (Dholavira) – गुजरात में स्थित, यह स्थल अपनी जल प्रबंधन प्रणाली के लिए जाना जाता है।
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राखीगढ़ी (Rakhigarhi) – हरियाणा में स्थित, यह स्थल हाल ही में महत्वपूर्ण खोजों के लिए चर्चा में आया है।
🏗️ नगरीय योजना और विज्ञान
सिंधु सभ्यता की नगर योजनाएँ अत्यंत उन्नत थीं। यहाँ की सड़कें समांतर और लंबवत रूप से व्यवस्थित थीं, और जल निकासी की व्यवस्था भी प्रभावी थी। लोगों ने जल आपूर्ति के लिए कुएँ, स्नानागार, और जलाशयों का निर्माण किया था। इसके अलावा, उन्होंने मानकीकृत ईंटों का उपयोग किया, जो आज भी निर्माण में उपयोग की जाती हैं।
🛠️ कला, शिल्प और व्यापार
सिंधु सभ्यता के लोग धातु विज्ञान में निपुण थे। उन्होंने तांबा, कांसा, टिन, और सीसा जैसी धातुओं का उपयोग करके विभिन्न उपकरण और आभूषण बनाए। इसके अलावा, उन्होंने मूर्तिकला, चित्रकला, और सील बनाने में भी दक्षता दिखाई। व्यापार के लिए उन्होंने मानकीकृत वजन और माप प्रणाली विकसित की थी।
📝 लिपि और भाषा
सिंधु सभ्यता की लिपि, जिसे 'हड़प्पा लिपि' कहा जाता है, अभी तक पूरी तरह से पढ़ी नहीं जा सकी है। हालांकि, कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि यह लिपि एक बोलचाल की भाषा का प्रतिनिधित्व करती थी। कंप्यूटर वैज्ञानिक राजेश राव के नेतृत्व में एक टीम ने इस लिपि का विश्लेषण किया और इसे एक संरचित भाषा प्रणाली माना।
🌾 कृषि और जलवायु
सिंधु सभ्यता के लोग कृषि में निपुण थे। उन्होंने गेहूँ, जौ, तिल, और कपास जैसी फसलों की खेती की। हालांकि, सभ्यता के अंत के समय में जलवायु परिवर्तन और मानसून की अनियमितता के कारण कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, जिससे सभ्यता का पतन हुआ।
📜 नामकरण
'सिंधु सभ्यता' नाम 'सिंधु' नदी से लिया गया है, जो इस सभ्यता के केंद्र में बहती थी। 'हड़प्पा सभ्यता' नाम हड़प्पा स्थल के नाम पर पड़ा है, जो इस सभ्यता का पहला खोजा गया स्थल था। कुछ विद्वान इसे 'सिंधु-सारस्वती सभ्यता' भी कहते हैं, क्योंकि वे इसे ऋग्वेद में वर्णित सरस्वती नदी से जोड़ते हैं।
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