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 हारमोनियम (Harmonium)

एक लोकप्रिय वाद्य यंत्र है जो विशेष रूप से भारतीय शास्त्रीय संगीत, भक्ति संगीत, लोक संगीत और सूफी संगीत में उपयोग किया जाता है। यह एक कीबोर्ड-आधारित वाद्य यंत्र है जो बेलोज़ (bellows) द्वारा हवा पैदा कर ध्वनि उत्पन्न करता है।


 हारमोनियम की विशेषताएँ (Visheshtayein):

  1. सरलता से बजाया जा सकता है: हारमोनियम को सीखना और बजाना तुलनात्मक रूप से सरल है। यही कारण है कि यह शुरुआती संगीत छात्रों के बीच लोकप्रिय है।

  2. स्वर स्थिरता (Pitch Stability): एक बार सही से ट्यून करने के बाद, यह लंबे समय तक स्वर स्थिर बनाए रखता है।

  3. साथ देने के लिए उपयुक्त (Accompaniment Instrument): यह गायन के साथ सुर देने में उत्कृष्ट होता है, खासकर खयाल, भजन, ग़ज़ल और कीर्तन में।

  4. सरगम और स्केल चेंजिंग: कुछ आधुनिक हारमोनियमों में स्केल-चेंजर सुविधा होती है जिससे किसी भी स्केल में सुर सेट किया जा सकता है।

  5. चलायमान (Portable): यह वाद्य यंत्र छोटा, हल्का और आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाया जा सकता है।

  6. समानांतर रीड्स: हारमोनियम में कई रीड्स (एक, दो या तीन) होते हैं, जिससे यह एक ही स्वर को अलग-अलग गहराई और लय में प्रस्तुत कर सकता है।


 प्रसिद्ध हारमोनियम वादक/गायक (Famous Harmonium Players & Singers)

    1. पंडित विष्णु नारायण भातखंडे – संगीत शास्त्र के विद्वान जिन्होंने हारमोनियम को शास्त्रीय मंच पर स्थापित करने में योगदान दिया।

    2. पंडित कुमार गंधर्व – शास्त्रीय गायन में हारमोनियम का अद्भुत प्रयोग करते थे।

    3. पंडित भीमसेन जोशी – उन्होंने अपने गायन में हारमोनियम का प्रभावी उपयोग किया।

    4. राजन-साजन मिश्रा – बनारस घराने के प्रसिद्ध गायक जो हारमोनियम के साथ शानदार गायन करते हैं।

    5. अजय चक्रवर्ती – प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक, जो हारमोनियम के साथ अपनी संगत के लिए जाने जाते हैं।

    6. नुसरत फतेह अली खान – सूफी और कव्वाली में हारमोनियम का अद्भुत उपयोग करने वाले महान गायक।

  1. तबला :-

तबला भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक प्रमुख और अत्यंत लोकप्रिय ताल वाद्य है। इसकी संगत लगभग सभी प्रकार के भारतीय संगीत में होती है – शास्त्रीय, अर्ध-शास्त्रीय, लोक और फिल्म संगीत में भी। भारत और विदेशों में कई प्रसिद्ध तबला वादकों ने इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रतिष्ठित किया है।


प्रसिद्ध तबला वादक (Famous Tabla Vadak):

उस्ताद ज़ाकिर हुसैन

  • भारत के सबसे प्रसिद्ध तबला वादकों में से एक।

  • तबले की तकनीक, रचनात्मकता और अंतरराष्ट्रीय ख्याति में अग्रणी।

  • उन्होंने भारतीय और पश्चिमी संगीत के फ्यूज़न में बड़ा योगदान दिया।

पंडित किशन महाराज (बनारस घराना)

  • तबले पर उनकी गति, स्पष्टता और लेयकारी (rhythmic intricacy) अद्वितीय थी।

  • उन्होंने शास्त्रीय गायकों और नृत्य कलाकारों के साथ शानदार संगत की।

 पंडित स्वप्न चौधरी

  • लखनऊ घराने के विख्यात तबला वादक।

  • उनकी नाजुकता और भाव-प्रधान संगत प्रसिद्ध है।

उस्ताद अल्ला रक्खा

  • उस्ताद ज़ाकिर हुसैन के पिता।

  • रवि शंकर के साथ दुनिया भर में भारतीय संगीत का प्रचार किया।

  • पंजाब घराने के महान वादक।

पंडित अनिंद्यो चटर्जी

  • फरीदाबाद घराने के प्रतिनिधि।

  • तबले की एकल प्रस्तुति और संगत में माहिर।

पंडित चार्तुर लाल

  • 1950-60 के दशक में पंडित रवि शंकर के साथ विदेशों में भारतीय संगीत का प्रचार किया।

 योगेश सामसी

  • उस्ताद अल्ला रक्खा के शिष्य।

  • युवा पीढ़ी में सबसे प्रतिभाशाली तबला वादकों में से एक।

इनके अलावा भी भारत में कई महान तबला वादक हैं जो विभिन्न घरानों जैसे दिल्ली, अजयगढ़, लखनऊ, पंजाब, बनारस, और फरीदाबाद घराने से संबंधित हैं।

बांसुरी (Bansuri)

भारतीय संगीत का एक प्राचीन और मधुर वाद्य यंत्र है, जिसे खासकर शास्त्रीय, लोक और भक्ति संगीत में इस्तेमाल किया जाता है। इसे "भगवान कृष्ण का वाद्य यंत्र" भी कहा जाता है। बांसुरी वादन की परंपरा भारत में बहुत समृद्ध रही है और कई महान बांसुरी वादकों ने इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।


🎶 प्रमुख बांसुरी वादक (Pramukh Bansuri Vadak):

🔹 पंडित हरि प्रसाद चौरसिया

  • भारत के सबसे प्रसिद्ध और विश्वप्रसिद्ध बांसुरी वादक।

  • हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में उनका योगदान अमूल्य है।

  • उन्होंने फिल्म संगीत और पश्चिमी संगीत के साथ भी प्रयोग किए।

  • उन्हें पद्म विभूषण, पद्म भूषण और कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

🔹 पं. पन्नालाल घोष

  • आधुनिक बांसुरी वादन के जनक माने जाते हैं।

  • उन्होंने पहली बार बांसुरी को गंभीर शास्त्रीय मंच पर प्रस्तुत किया।

  • लंबी बांसुरी का प्रयोग करके उसे अधिक गाम्भीर्य और विस्तार दिया।

🔹 पं. राजेन्द्र कुलकर्णी

  • शास्त्रीय और उप-शास्त्रीय शैली में दक्ष।

  • हरि प्रसाद चौरसिया जी के शिष्य।

🔹 रणेंद्रनाथ बोस

  • बंगाल के प्रमुख बांसुरी वादक।

  • उन्होंने बांसुरी को भावपूर्ण और सूक्ष्म शैली में प्रस्तुत किया।

🔹 शाशांक सुभ्रमण्यम

  • कर्नाटक संगीत परंपरा के बांसुरी वादक।

  • दक्षिण भारतीय शैली में बांसुरी वादन के युवा प्रतिनिधि।

🔹 दुर्जोय भट्टाचार्य (Durjoy Bhattacharya)

  • आधुनिक युवा बांस

सितार (Sitar) 

भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक प्रमुख तार वाद्य यंत्र है। इसकी मधुर और गूंजदार ध्वनि ने इसे भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में लोकप्रिय बना दिया है। सितार विशेष रूप से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में प्रयोग होता है और यह रागों को अत्यंत भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करने में सक्षम है।


🎸 प्रमुख सितार वादक (Pramukh Sitar Vadak):

पंडित रवि शंकर

  • विश्वप्रसिद्ध सितार वादक जिन्होंने भारतीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई।

  • उन्होंने पश्चिमी संगीतकार जॉर्ज हैरिसन (The Beatles) और येहुदी मेनुहिन के साथ सहयोग किया।

  • पद्म विभूषण सहित कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित।

उस्ताद विलायत ख़ाँ साहब

  • इमदादखानी (एतावा) घराने के महान सितार वादक।

  • गायकी अंग (vocal style) को सितार में प्रस्तुत करने के लिए प्रसिद्ध।

  • उनकी शैली अत्यंत भावनात्मक और आत्मीय मानी जाती है।

 श्री अनुपमा भगवत

वीणा (Veena)

भारतीय संगीत का एक प्राचीन और अत्यंत पवित्र माने जाने वाला तार वाद्य यंत्र है, जिसे देवी सरस्वती का वाद्य भी कहा जाता है। यह विशेष रूप से कर्नाटक (दक्षिण भारतीय) शास्त्रीय संगीत में प्रयोग होता है, लेकिन उत्तर भारत में भी इसकी कुछ शैलियाँ पाई जाती हैं जैसे रुद्रवीणा


🎼 प्रमुख वीणा वादक (Pramukh Veena Vadak):

🔹 डॉ. ई. बालामुरलीकृष्णा

  • प्रसिद्ध कर्नाटक संगीतज्ञ।

  • वीणा सहित कई वाद्य यंत्रों में निपुण।

  • उनकी गायकी और वीणा वादन दोनों में अद्वितीय लय और भाव दिखाई देता है।

🔹 वीणा डी. श्रीकांतम

  • कर्नाटक संगीत परंपरा की प्रतिष्ठित वीणा वादिका।

  • परंपरागत शैली को अत्यंत भावप्रद ढंग से प्रस्तुत करती हैं।

🔹 वीणा गायत्री (E. Gayathri)

  • आधुनिक युग की प्रमुख वीणा वादिका।

  • तमिलनाडु सरकार द्वारा "वीणा की रानी" की उपाधि प्राप्त।

  • वे तमिलनाडु म्यूज़िक यूनिवर्सिटी की कुलपति भी रह चुकी हैं।

🔹 पंडित बीरजू महाराज (रुद्रवीणा संगतकर्ता)

  • यद्यपि वह मुख्यतः कथक नर्तक थे, परंतु शास्त्रीय संगीत की संगत में रुद्रवीणा का प्रयोग किया करते थे।

🔹 उस्ताद ज़िया मोहीउद्दीन डागर

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